लेखनी कहानी -08-Jul-2022 यक्ष प्रश्न 1
5. यक्ष प्रश्न -1
यक्ष प्रश्न
महाभारत में पांडवों के 12 वर्ष के वनवास के समय एक सरोवर में पानी पीने से पहले यक्ष द्वारा पूछे गए प्रश्न सर्वविदित हैं । ये प्रश्र देश , काल से परे हैं । जीवन मूल्यों से संबंधित प्रश्न हैं । लेकिन अब प्रश्न यह है कि क्या जीवन मूल्य बदल गये हैं ? आइये , आज के माहौल में इन पर चर्चा करते हैं ।
कोरोना ने पूरे विश्व को अपनी गिरफ्त में ले लिया था और भारत में उस समय गजब का दहशत का माहौल था । भारत में 22 मार्च 2020 से पहला लॉकडाउन लग चुका था । वह लॉकडाउन इतना सख्त था कि बाहर सड़क पर भी कोई नहीं जा सकता था । पुलिस बाहर निकलने वालों के स्वागत के लिए लठ्ठ लेकर एकदम तैयार खड़ी थी । लोग घरों में कैद होकर रह गए थे । केवल सोशल मीडिया और फोन से ही एक दूसरे से जुड़े हुए थे । उन दिनों टेलीविजन पर रामायण और महाभारत जैसे धारावाहिक रोजाना दिखाये जा रहे थे जिससे लोग कोरोना की दहशत में सांस तो ले पा रहे थे ।
मैं टाइम पास करने के लिए और,एक दूसरे का यह हाल जानने के लिए कि हम में से कोई "टपक" तो नहीं गया है, जूम एप पर अपने अभिन्न मित्रों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग करने को उद्यत हुआ ही था कि श्रीमती जी की मधुर आवाज़ सुनाई दी । उनकी बातों में रामायण और महाभारत का प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा था ।
" आर्यपुत्र , आज घर में ना तो दाल है और ना ही कोई सब्जी । अगर भोजन करना हो तो दाल, सब्जी वगैरह लाने होंगे , तभी भोजन बन सकेगा , आर्यपुत्र ।"
" भार्ये , आप चिन्ता ना करें । हम अभी व्यवस्था करते हैं " हमने बड़े आराम से कहा जिससे श्रीमती जी नाहक परेशान ना हों । और मैंने अपने छोटे पुत्र नकुल से कहा ।
" वत्स नकुल, जाओ और पड़ोस के पांडे जी से थोड़ी सब्जी और दाल लेकर आओ " ।
" जो आज्ञा , पिता श्री " ।
और नकुल कपड़े का थैला लेकर चला गया ।
काफी देर तक जब वह सब्जी लेकर नहीं आया तो श्रीमती जी को चिंता होने लगी । बोली
" आर्यपुत्र , नकुल को गये बहुत देर हो चुकी है वह अभी तक नहीं आया है । मेरा दिल किसी अनिष्ट की आशंका से धड़क रहा है " ।
" घबराओ नहीं भार्ये । नकुल कोई ऐसा वैसा व्यक्ति नहीं है । महारथी है महारथी । आखिर पुत्र किसका है ? मेरा पुत्र है नकुल । आपको शायद पता नहीं है कि वह आई आई टी टॉपर है । " हमने नकुल के महान होने के सब प्रमाण दे दिये और साथ ही साथ खुद का भी बखान कर दिया ।
" लेकिन मुझे उसकी चिंता हो रही है आर्यपुत्र " । उनकी चिंता खत्म नहीं हो रही थी । बहुत परेशान लग रही थीं वे ।
" वत्स अर्जुन । जरा जाकर देखो तो पुत्र । तुम्हारा लघु भ्राता नकुल अभी तक आया क्यों नहीं ? " थोड़ी सी शंका अब हमें भी होने लगी थी ।
" जो आज्ञा पिता श्री " । कहकर अर्जुन भी चला गया ।
काफी देर के पश्चात जब अर्जुन भी वापस नहीं लौटा तो श्रीमती जी को बहुत ज्यादा चिंता होने लगी । बोलीं
" आर्यपुत्र , अर्जुन को भी गये बहुत समय हो गया है । अभी तक ना तो नकुल वापस लौटा और ना ही अर्जुन लौटा है। दोनों का कहीं कोई अता पता नहीं है । मेरा मन बहुत घबरा रहा है , आर्यपुत्र " ।
मैंने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा । " भार्ये , अर्जुन जैसा श्रेष्ठ वकील पूरे त्रैलोक्य में कहीं नहीं है । और नकुल आई आई टी टॉपर है ही । उनका कोई बाल बांका भी नहीं कर सकता है इस दुनिया में । इसलिए चिंता ना करो भार्ये । बस, आते ही होगे दोनों भाई " । हमने कह तो दिया लेकिन खुद हमें भी चिंता होने लगी थी ।
काफी देर के पश्चात भी जब अर्जुन और नकुल नहीं आये तो मुझे स्वयं को जाना पड़ा ।
घर से बाहर निकल कर मैंने देखा कि लॉकडाउन के कारण सड़कें वीरान पड़ी हैं । दूर दूर तक इंसान की तो छोड़िए पंछी तक दिखाई नहीं दे रहे थे । मैं थोड़ा और आगे गया तो देखा कि एक मुच्छड़ थानेदार बैरीकेडिंग लगाये बीच सड़क पर बैठा है । मैं बेरीकेडिंग के बीच से निकल ही रहा था कि एक कड़कती रौबदार आवाज आई ।
" किधर जा रहा है । देखता नहीं कि लॉकडाउन लगा हुआ है और बेरीकेडिंग लगीं हुई हैं । चल, फूट यहां से और चुपचाप घर में घुस जा" । मुच्छड़ थानेदार हवा में डंडा लहराता हुआ बोला ।
मैं बोला , " हे देव । सड़क पर तो सबका समान अधिकार होता है । सड़क होती ही आने जाने के लिए है । घर में सब्जी और दाल खत्म हो गई है देव । बस वही लेने जा रहा था। अगर आपकी नजरे इनायत हो जाये तो आज का खाना बन जाये " ।
" सावधान । तुम्हें आगे बढने से पहले मेरे प्रश्नों के जवाब देने होंगे" । वह गुर्राया ।
मैं उसको इगनोर करके आगे जाने लगा तो वह जोर से चिल्लाया " तुम मेरे प्रश्नों का उत्तर दिये बिना आगे नहीं जा सकते हो । इन दोनों ने भी यही गलती की थी इसलिए इनको गिरफ्तार कर लिया गया है " ।
अब मैं चौंका और
मैंने उन दोनों पर एक सरसरी निगाह डाली। "अरे, ये तो नकुल अर्जुन हैं । ये यहां क्या कर रहे हैं" ? जब मैंने गौर से देखा तो पाया कि नकुल और अर्जुन दोनों के हाथों में हथकड़ी लगी हुई थी । अब तो मुच्छड़ थानेदार के प्रश्नों के जवाब देने ही पड़ेंगे , और कोई विकल्प शेष नहीं था । ऐसा सोचकर मैं बोला
" हे मुच्छ प्रजाति के अधिष्ठाता , पूछिए क्या पूछना है आपको , देवाधिदेव । क्या प्रश्न है आपका ? "
" सत्य क्या है ?"
" जिस प्रकार सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार सत्य के भी दो पहलू होते हैं । जिसको जो पहलू नजर आता है उसको वहीं पहलू सत्य नजर आता है "
"अरे वाह ! बहुत बढिया । अच्छा यह बताइए कि अभिशाप क्या है ?"
" प्रशंसा के लिए आभार आदरणीय, आमजन होना ही सबसे बड़ा अभिशाप है , देव । "
"वाह वाह ! वरदान क्या है ?"
" वी वी आई पी होना ही संसार का सबसे बड़ा वरदान है , देव । वीवीआईपी होने से संसार के समस्त आमोद-प्रमोद घर बैठे मिल जाते हैं , लठ्ठाधिपति ।"
" वाह, क्या बात है । कलाकार किसे कहते हैं ?"
" गिरगिट से भी तीव्र गति से जो रंग बदलता हो वही आज के जमाने में सबसे बड़ा कलाकार कहलाता है । "
" जीवन का उद्देश्य क्या है ?"
" सत्ता प्राप्त करना या उसमें हिस्सा प्राप्त करना ही जीवन का एकमात्र उद्देश्य है । अगर सत्ता में भागीदारी हो जाती है तो समझो सात पीढीयां एक साथ तर जाती हैं , खाकीपति । "
" स्वर्ग क्या है ?"
" दसों उंगली घी में और सिर कड़ाही में होना ही स्वर्ग है , देव । "
" चरम सुख क्या है ?"
" पर निंदा करना ही चरम सुख है, देव। "
" ज्ञानी कौन है ?"
" येन केन प्रकारेण अपना काम निकालने वाला व्यक्ति ही ज्ञानी है। "
" करने योग्य कार्य कौन सा है ?"
" करने योग्य कार्य केवल एक ही है देव , और वह है "चमचागिरी" । जो मैं अभी कर रहा हूं आपकी ।" मैंने मस्का मारते हुए कहा ।
इस मस्के से वे थोड़े खुश नजर आए । वैसे एक बात है कि मस्के में होती ही ऐसी चीज है कि सबको खुशी दे जाती है । फिर उन्होंने आगे पूछा
"न करने योग्य कार्य क्या है ?"
" अपने बॉस की बुराई "।
" सबसे कठिन कार्य क्या है ?"
" बीवी की बात काटना और बॉस को कुछ भी समझाना सबसे कठिन कार्य है, दंडाधीश ।"
" पुलिस का कार्य क्या है ?"
प्रश्न बड़ा खतरनाक था । मेरे फंसने के पूरे चांस थे । रिस्क बहुत बड़ी थी मगर जवाब तो देना ही था
" निरपराध को अपराधी और अपराधी को निरपराध बताना ही पुलिस का कार्य है " मैंने डरते डरते कहा ।
वे मेरे जवाब से बहुत खुश हुए और जोश में आकर उन्होंने मेरी पीठ में एक जोरदार धौल जमा दी । मैं पीठ पकड़कर रह गया । उन्होंने आगे पूछा
" न्यायालय क्या है ?"
" एक ऐसा स्थान जहां सत्य को असत्य और असत्य को सत्य सिद्ध किया जाता हो ।"
" सरकार का क्या कार्य है ?"
" नया वोट बैंक बनाना और पुराने को पुख्ता करना ही सरकार का कार्य है ।"
" डरने योग्य क्या है?"
" धारा 3 और धारा 376 "
" दुख कब होता है ?"
" पड़ौसन जब मैके चली जाती है , तब घोर दुख होता है । "
" मीडिया क्या है ?"
" पैसे लेकर फेक खबर चलाने वाला चैनल मीडिया कहलाता है । "
" सोशल मीडिया क्या है ?"
" गपशप करने और टाइम पास करने का सार्वजनिक मंच सोशल मीडिया है "
" दुस्साहस क्या है ?"
" सत्य को सत्य कहना ही दुस्साहस है जो मैं अभी कर रहा हूं आपके सामने ।" मेरी कंपकंपी छूट रही थी ।
उन्होंने खा जाने वाली नजरों से मुझे देखा । मैं भीतर तक सहम गया । फिर मेरी बकरी की सी हालत देखकर वे रावण की तरह हंसने लगे । उनके इस तरह हंसने से दसों दिशाएं गूंजने लगीं और पशु पक्षी डरकर शोर करने लगे । उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "साधो , साधो ! अति उत्तम वत्स , अति उत्तम । अब तक तुमने मेरे प्रश्नों के एकदम सही उत्तर दिए हैं । आगे भी सही सही बताओगे तो मुंह मांगा वरदान मिलेगा । आज की तारीख में मनुष्य को क्या करना चाहिए ?"
" आज की तारीख में मनुष्य को केवल अपने घर पर रहना चाहिए और सरकार के दिशा निर्देशों का अक्षरश : पालन करना चाहिए ।"
" मिसाइल से भी खतरनाक अस्त्र कौन सा है ?"
" थूक प्रभु ,थूक । यह थूक मिसाइल से भी ज्यादा खतरनाक है । और जिस तरह से कुछ विशेष समुदाय के लोग इस अस्त्र का प्रयोग कर रहे हैं तो इसने सबसे खतरनाक हथियार की संज्ञा प्राप्त कर ली है " ।
" कृतघ्न किसे कहते हैं ?"
" बचाने वाले भगवान पर भी जो पत्थर मारे , वे कृतघ्न कहलाते हैं । "
मुच्छड़ थानेदार के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव थे । इससे हमें आभास हो रहा था कि वे हम पर प्रसन्न हैं । इसलिए बोला
" आपने मेरे समस्त प्रश्नों का सही सही उत्तर दिया है । अतः आप अपने एक पुत्र को छुड़ा कर ले जा सकते हैं और दाल सब्जी लेने जा सकते हैं "
मैंने कहा, " देव अगर आप प्रसन्न हैं तो मेरे छोटे पुत्र नकुल को छोड़ दें " ।
मुच्छड़ थानेदार चौंक कर बोला
" वत्स, आपने अपने छोटे पुत्र को ही क्यों छुड़वाया ? आपका बड़ा पुत्र तो महाप्रतापी वकील है । उसे क्यों नहीं छुड़वाया ?"
" भगवन् , इसके दो कारण हैं । पहला तो ये कि छोटा पुत्र मां को अति प्रिय होता है । इसकी मां इसे देखकर अति प्रसन्न होगी । अगर वो प्रसन्न रहेगी तो मैं भी प्रसन्न रह सकूंगा । दूसरा यह कि मेरा बड़ा पुत्र एक नामी वकील है । और किसी वकील को ज्यादा देर तक गिरफ्तार करने की शक्ति किसी भी पुलिस अधिकारी में नहीं है । अभी थोड़ी देर में इसकी वकील सेना आ जायेगी और आपके थाने का वैसा ही विध्वंस कर देगी जैसा कि शिवजी की सेना ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विध्वंस किया था । "
" हम आपके ज्ञान और उत्तर से बहुत प्रसन्न हुए वत्स ।आपकी प्रत्युत्पन्नमति कमाल की है । आपके जवाबों ने मुझे अत्यंत प्रसन्नता है वत्स । इसलिए आपके बड़े पुत्र को भी हम रिहा करते हैं । वत्स, कोई वर मांगो । "
" अगर आप मुझ पर इतने ही कृपालु हैं तो हमें एक ऐसा कार्ड दे दीजिए जिसे दिखाने पर कोई पुलिस कर्मी हमें कभी परेशान नहीं करें ।"
और मुच्छड़ थानेदार ने अपना एक वीवीआईपी पास मुझे दे दिया । अपने मातहत से कहकर सब्जी वाले पांडे जी से मुझे फ्री सब्जी और दाल वाले से फ्री दाल दिलवा कर मेरे घर तक पहुंचवा दी ।
हम सब लोग सकुशल घर वापस आ गये । हम सबको घर पर देखकर श्रीमती जी बहुत प्रसन्न हो गयीं ।
Gunjan Kamal
23-Sep-2022 08:45 AM
Nice
Reply
दशला माथुर
20-Sep-2022 12:57 PM
Very nice
Reply
Seema Priyadarshini sahay
11-Jul-2022 04:49 PM
बहुत खूबसूरत
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